श्वेता शर्मा राय ।
क्यूँकि मिल जाना परिणति है
एक अंत है उस कहानी का जो सुखद थी।
नहीं मिलना एक उम्मीद है
उन सब सुखों की जो ‘हो सकते’ थे
जिनका ना होना दर्द नहीं देता
कहते हैं यादें टीस होती हैं
पर जो हुआ ही ना, उसकी टीस कैसी
‘हो जाने’ पर तिलिस्म टूट जाता है
और टूटी किरचें चुभती रहती हैं
नहीं मिलना वो कहानी है
जो हर रात सुनते सुनते सो जाते हैं हम
कहानी पूरी नहीं होती पर पूरी रात चलती है
और अगली सुबह एक गर्माहट होती है
कहानी अच्छी हो, तो मुस्कान जैसी
और ना हो, तो इस उम्मीद की
कि आज रात कहानी बदल जाएगी
और फिर उम्मीद ही तो सुख है,
तुम्हारे ना मिलने का सुख।
श्वेता मानती हैं कि इनके पालतू कुत्ते ने Hogwarts से आए उल्लू को भगा दिया था। और तब से ये बिना जादू के रहने को अभिशप्त हैं। कई सालों पहले इनके शरीर में खून की जगह कॉफ़ी ने ले ली थी। काफ़ी पढ़ती हैं, थोड़ा लिख लेती हैं। जब ये दुनिया घूमने के दिवास्वप्न नहीं देख रहीं होतीं तब वकालत कर रही होती हैं।
Main image by Alberto Adán from Pixabay
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