सोमवार को भारत में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या दो लाख 18 हजार 959 तक पहुंच चुकी है. लेकिन कई विशेषज्ञों और आमतौर पर लोगों का मानना है कि यह संख्या असल में कहीं ज्यादा है और अधिकारी असल आंकड़े सामने नहीं ला रहे हैं.
एनआरआई अफेयर्स डेस्क
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भारतीय अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक्सक्लूसिव खबर में बताया है कि आधिकारिक आंकड़ों में भोपाल में अप्रैल में कोविड-19 से सिर्फ 109 लोगों की बात है लेकिन श्मशान घाट और कब्रिस्तानों में कम से कम 25,00 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ है.
अखबार ने शहर के तीन श्मशान घाटों और एक कब्रिस्तान से आंकड़े जुटाए हैं. इनके मुताबिक 109 के अलावा 2,567 शवों का अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकॉल के तहत हुआ है.
इनके अलावा 1,273 ऐसे शवों का अंतिम संस्कार हुआ है जिनकी मौत कोविड से नहीं हुई थी. अप्रैल 2019 में ऐसे लोगों की संख्या 500 थी.
इसी तरह एनपीआर ने एक रिपोर्ट में लिखा है कि वाराणसी के नजदीक आशापुर में दो हफ्ते के भीतर 50 लोगों की मौत बुखार और सांस की तकलीफ से हुई जबकि अधिकारियों ने सिर्फ छह को कोविड के कारण हुई मौत गिना.
भारत के कम आंकड़ों पर काफी विवाद रहा है. अमेरिका में कुल आबादी का करीब दस फीसदी कोरोनावायरस से संक्रमित हुआ. उसके मुकाबले सवार अरब से ज्यादा की आबादी वाले भारत में संक्रमण के मामले डेढ़ फीसदी से भी कम हैं.
पश्चिमी राज्य गुजरात में स्थानीय मीडिया ने मध्य अप्रैल में सिर्फ एक दिन में 689 ऐसे लोगों के अंतिम संस्कार का पता लगाया था जिनका अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत किया गया. लेकिन सरकारी आंकड़ों में संख्या सिर्फ 78 दिखाई गई.
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