जनगणना अभियान के प्रचार के लिए ऑस्ट्रेलियन ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स की ओर से जारी एक पर्चे पर हिंदी भाषा के न होने से आहत ऑस्ट्रेलिया के कई सामुदायिक नेताओं ने एक बैठक में फैसला किया है कि भाषा के प्रचार के लिए एकजुट होकर काम किया जाएगा.
सोमवार को जूम पर आयोजित एक बैठक में इंडियन लिटररी ऐंड आर्ट सोसाइटी की संस्थापक और लेखिका रेखा राजवंशी ने ऑस्ट्रेलियाभर से हिंदी भाषा के लिए काम करने वाले लोगों को एक मंच पर जमा किया और हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए जरूरी कदमों पर चर्चा की.
इस मौके पर ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. इयान वुलफर्ड, मेलबर्न स्थित साहित्य संध्या से सुभाष शर्मा, द ह्यूमनिजम प्रोजेक्ट से दीपक जोशी, फेडरेशन ऑफ इंडियन असोसिएशंस ऑफ न्यू साउथ वेल्स से डॉ. यदु सिंह, हिंदी समाज से जुडी रहीं शैलजा चतुर्वेदी, पर्थ में हिंदी पढ़ाने वालीं हेमा शंकर, दर्पण रेडियो के प्रदीप सिन्हा, एडिलेड यूनिवर्सिटी के डॉ. राय कूकणा, साउथ एशियन हिंदी स्कूल के संस्थापक एमके सिंह, IABBV हिंदी स्कूल की संस्थापिका माला मेहता ओएएम, हिल्स शायर से काउंसिलर रीना जेठी, महा संघ के अध्यक्ष अरुणेश सेठ, असोसिएशन ऑफ हरियाणवीज इन ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष सेवा सिंह और हिंदू काउंसिल से संजीव भाखरी, और विजय सिंघल मौजूद थे.
सभी वक्ता इस बात पर सहमत थे कि हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए न सिर्फ ज्यादा सक्रिय होने की जरूरत है बल्कि विभिन्न संगठनों और तबकों से जुड़े लोगों को अपने मतभेद भुलाकर साथ आने की भी जरूरत है.
यह बात बार-बार उभरकर सामने आई कि हिंदीभाषी समुदाय का एकजुट न होना इसके प्रसार में बाधक है. कई वक्ताओं ने जरूरी और गंभीर सुझावों के जरिए इस बैठक को एक सकारात्मक नतीजे तक पहुंचाने में मदद की. जो सुझाव विशेष तौर पर उभर कर सामने आए और सर्वसम्मति से मान्य थे, उनमें जनगणना अभियान के अधिकारियों से संपर्क करना और अगले अभियान से पहले लगातार सक्रिय रहना मुख्य था.
कई वक्ताओं ने जनगणना के लिए पूछे जाने वाले सवालों में दो भाषाएं लिखने का विकल्प देने की जरूरत पर जोर दिया और इस सुझाव को सही माध्यम से अधिकारियों तक पहुंचाने के लिए साझा प्रयास करने पर जोर दिया.
बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि सक्रियता सिर्फ इस अभियान पर रुकनी नहीं चाहिए, बल्कि लगातार जारी रहनी चाहिए और हिंदी भाषा के लिए सभी पक्ष लगातार एक दूसरे से चर्चा करेंगे ताकि एक बार शुरू हुआ यह प्रयास बिना अपने अंजाम पर पहुंचे, रुक न जाए.