छोटी कहानीः दोहरी सज़ा

Advertisements संध्या नायर “इसे वहां ले जाओ!” – चित्रगुप्त ने नरक के धधकते मुख की और इशारा करते हुए, यमदूतों को आदेश दिया। “महाराज! ऐसा क्या पाप हो गया! मैंने तो पूरा जीवन दान दक्षिणा दी हैं।” मैं गिड़गिड़ाते हुए चित्रगुप्त के चरणों में जा गिरी । “दान दक्षिणा तो ठीक है, पर तुम पर … Continue reading छोटी कहानीः दोहरी सज़ा