Advertisements अनु भरत । क़िस्मत की सिलवटों को सहेजते हुए,नज़्मों में चाँदनी को उकेरते हुए,गुनगुनी धूप में एक कप ब्लैक काॅफी की तरह,इबादत में उलझे दीवानें किसी सूफ़ी की तरह,कभी चुभता हुआ अक्स , कभी धुँधला सा साया होकर,कभी नन्ही सी ख़्वाहिश की अनछुई सी माया होकर,वो ढूँढती फिरती थी ….लकीरों के बियाबान में……बस एक … Continue reading एक स्लाइस ज़िंदगी
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