Advertisements अजय गोयल. चिड़ियों की तरह चहकता और झरने जैसा मुस्कराता हुआ, सुबह-सुबह सज़ा-सँवरा भव्य दादी की अँगुली थामे घर से निकलता। अस्पताल के गेट से बाहर अपनी स्कूल बस का इंतजार करता। बस आने तक किसी लय में फुदकता हुआ, कोई पंक्ति कूकता रहता। उस समय उसके साथ पड़ोसी अमित भी रहता, जो उससे … Continue reading कहानीः ऑपरेशन
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